नगर निगम ने छिपाई टेंडर की सूचना, आयोग ने लगाई फटकार

एक तो घोर अनियमितता दूसरा सूचना के अधिकार के तहत जानकारी छुपाने में भी निगम प्रशासन हिचक नहीं रहा है। वर्ष 2018 में निर्माण कार्यों को लेकर हुए टेंडर की लेटलतीफी छुपाने के लिए निगम प्रशासन ने सूचना ही छिपा ली। मामला जब सूचना आयोग पहुंचा और फटकार लगी तब जाकर अधिकारियों की नींद खुली। नगर निगम अधिकारियों ने स्वीकारा कि 2018 में टेंडर हुआ था। वहीं, संबंधित अफसर से स्पष्टीकरण मांगने की बात भी कही। साथ ही खुलासा हुआ कि निगम क्षेत्र के विकास कार्य सिर्फ टेंडर प्रक्रिया तक सीमित होकर रहे गए हैं। गिनाने के लिए विकास कार्यों की पूरी फेहरिस्त है, जबकि जमीन पर कार्यों का लेखाजोखा सिफर है। वाकये के मुताबिक इमरान सैफी नामक युवक ने चंद्रेश्वर नगर, भैरव कॉलोनी और गुरुद्वारे के पीछे चंद्रेश्वर नगर धोबी घाट तक के निर्माण कार्यों का ब्योरा सूचना का अधिकार के तहत मांगा था। निगम अफसरों ने जवाब में सूचना दी कि चंद्रेश्वर नगर में दुर्गा मंदिर तक नाला और सीसी सड़क निर्माण का कोई टेंडर ही नहीं हुआ। निगम प्रशासन की विकास कार्यों के प्रति संजीदगी का आलम ये है कि निर्माण कार्य संबंधी जो टेंडर वर्ष 2018 में हुए थे वे अब तक पूरे नहीं हो पाए हैं। कुछ कार्यों का तो श्रीगणेश तक नहीं हो पाया है। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के मुताबिक पहला टेंडर चंद्रेश्वर नगर में दुर्गा मंदिर के समीप गली नंबर-9 से गली नंबर-5 तक सीसी सड़क और रोहित के घर तक नाली निर्माण का सात लाख 40 हजार 625 रुपये में आवंटित हुआ था। दूसरा टेंडर भैरव कॉलोनी में सड़क निर्माण का कार्य 11 लाख 86 हजार 800 रुपये के बजट से आवंटित हुआ। इसके अलावा तीसरा टेंडर गुरुद्वारे के पीछे से धोबी घाट तक हृृम पाइप से अंडर ग्राउंड नाले के निर्माण का कार्य 24 लाख 75 हजार में हुआ। ये सभी निर्माण कार्य अब तक हीलाहवाली का शिकार हैं। जबकि, नियमानुसार पहले टेंडर का कार्य 45 दिन में दूसरा 60 दिन और तीसरे टेंडर का कार्य 90 दिन में पूरा होना चाहिए था।